शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

गाँधीजी का जीवन-दर्शन

गाँधीजी का देशभक्तों की पंक्ति में सबसे ऊँचा स्थान है। गाँधी की देशभक्ति मंजिल नहीं, अनन्त शान्ति तथा जीव मात्र के प्रति प्रेमभाव की मंजिल तक पहुँचने के लिए यात्रा का एक पड़ाव मात्र है। गाँधीजी ने कहा- 'जिस सत्य की सर्वव्यापक विश्व भावना को अपनी आँख से प्रत्यक्ष देखना हो उसे निम्नतम प्राणी से आत्मावत प्रेम करना चाहिए।' जीव मात्र के प्रति समदृष्टि से सत्य, अहिंसा एवं प्रेम की त्रिवेणी प्रवाहित होती है।
'वैष्णव जण तो ते णे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे'
दक्षिण अफ्रीका और भारत में उन्होंने सार्वजनिक आन्दोलन चलाए। इन जनआन्दोलनों से उन्होंने सम्पूर्ण समाज में नई जागृति, नई चेतना तथा नया संकल्प भर दिया। उनके इस योगदान को तभी ठीक ढंग से समझा जा सकता है जब हम उनके मानव प्रेम को जान लें, उनके सत्य को पहचान लें, उनकी अहिंसा भावना से आत्मसाक्षात्कार कर लें।
गाँधीजी के शब्द थें : 'लाखों-करोड़ों गूँगों के हृदयों में जो ईश्वर विराजमान है, मैं उसके सिवा अन्य किसी ईश्वर को नहीं मानता। वे उसकी सत्ता को नहीं जानते, मैं जानता हूँ। मैं इन लाखों-करोड़ों की सेवा द्वारा उस ईश्वर की पूजा करता हूँ जो सत्य है अथवा उस सत्य की जो ईश्वर है।'

रविवार, 30 अगस्त 2009

जय भारत ,


जय भारत, महिला शक्ति भारत की ही नही वरन् समस्त विश्व की शक्ति है। भारतीय महिला परिवार का उद्देश्य महिलाओं को आदर और सम्मान दिलाना है और उनकी सभी समस्याओं का हर संभव निवारण करना हमारा परम कर्त्वय है। भारतीय महिला परिवार एक सशक्त परिवार बनने की ओर अग्रसर है। इसकी नींव में भारतीय संस्कृति की छाप है। यह महिलाओं की समस्याओं को उजागर करता है और उसकी समस्या का समाधान भी करता है। आज भारत की प्रत्येक महिला किसी न किसी तरह पीड़ित है। भारतीय महिला परिवार महिलाओं द्वारा ही महिलाओं की सभी तरह की समस्याओं (जैसे आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, जीविकोपार्जन, शोशण, प्रताड़ना, ) का समाधान करने का प्रयास करता है। समस्त महिला इससे जुड़कर गौरव का अनुभव करें हम ऐसा प्रयास कर रहे है। वो अबला नहीं है, नारी कभी अबला नहीं हो सकती क्योंकि वो ही पुरूष की जननी है। वीर पुरूशों की जननी भला अबला कैसे हो सकती है? महिला शक्ति राष्ट्र की शक्ति है महिलाओं का आदर करना चाहिए। सदैव उसके स्वाभिमान की रक्षा करना केवल पुरूष का ही धर्म नही वरन् हम महिलाओं का भी बराबर का है। भावना त्यागी भारतीय
प्रस्तुतकर्ता bhartiyamahilaparivar पर 3:48 AM 0 टिप्पणियाँ
Sunday, May 24, 2009

अत्यन्त दुःख हुआजब विजय के बाद कांग्रेस अध्यक्षा एवं प्रधानमंत्री ने जनता को धन्यवाद गुलामी की भाषा अंग्रेजी में ..दिया । नेता अपनी राष्ट्र भाषा में कब बोलना सीखेगे या किसी जूते की प्रतीक्षा है